कोविड-19 के नमूनों का परीक्षण करने के लिए डीआरडीओ द्वारा विकसित मोबाइल प्रयोगशाला का उद्घाटन


रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कोविड-19 के नमूनों का परीक्षण करने के लिए डीआरडीओ द्वारा विकसित मोबाइल प्रयोगशाला का उद्घाटन किया




रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मोबाइल वायरोलॉजी रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक्स लेबोरेटरी (एमवीआरडीएल) का अनावरण किया, जिसे डीआरडीओ ने ईएसआईसी अस्पताल, हैदराबाद और निजी उद्योग के सहयोग से विकसित किया है।


इस अवसर पर रक्षा मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार द्वारा सही समय पर कई फैसले लिए गए हैं, जिसके कारण देश में कोविड-19 का प्रसार कई अन्य देशों की तुलना में बहुत कम हुआ है।


श्री राजनाथ सिंह ने 15 दिनों के रिकॉर्ड समय में इस जैव-सुरक्षा स्तर (बीएसएल) 2 और स्तर 3 प्रयोगशालाओं की स्थापना की सराहना की, जिसके लिए सामान्य रूप से लगभग छह महीने का समय लगता है। उन्होंने कहा कि इस परीक्षण सुविधा से एक दिन में 1,000 से ज्यादा नमूनों का परिक्षण किया जा सकता है। इससे कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में देश की क्षमता बढ़ेगी।


श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सशस्त्र बल कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में कई प्रकार से योगदान कर रहे हैं - जैसे क्वारंटाइन केंद्र स्थापित करना, स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करना, भारतीय नागरिकों को अन्य देशों से बाहर निकालना आदि – और ये प्रयास जारी रहेंगे।


इस समारोह में केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी, श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री श्री संतोष कुमार गंगवार, तेलंगाना सरकार में सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग, नगरपालिका प्रशासन एवं शहरी विकास मंत्री श्री के. टी. रामा राव, तेलंगाना सरकार में श्रम मंत्री श्री सी. एच. मल्ला रेड्डी और डीडीआरएंडडी को सचिव एवं डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ जी. सतेश रेड्डी मौजूद थे।


यह ऐसा पहला मोबाइल वायरल अनुसंधान प्रयोगशाला (एमवीआरएल) है, जिससे कोविड-19 की स्क्रीनिंग और इससे संबंधित अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों में तेजी आएगी। इसे डीआरडीओ की हैदराबाद स्थित प्रयोगशाला रिसर्च सेंटर इमारात (आरटीआई) ने ईएसआईसी अस्पताल, हैदराबाद के साथ मिलकर तैयार किया है


मोबाइल वायरल रिसर्च प्रयोगशाला, एक बीएसएल 3 प्रयोगशाला और एक बीएसएल 2 प्रयोगशाला का संयोजन है जो क्रियाकलापों को पूरा करने के लिए आवश्यक है। इन प्रयोगशालाओं का निर्माण डब्लूएचओ और आईसीएमआर जैव-सुरक्षा मानकों के अनुसार किया जा रहा है ताकि अंतरराष्ट्रीय दिशानिर्देशों का पालन हो सकेक। इस प्रणाली को विद्युत नियंत्रण, एलएएन, टेलीफोन केबलिंग और सीसीटीवी शामिल हैं।


यह प्रयोगशाला कोविड-19 की डायग्नोसिस और दवा स्क्रीनिंग के लिए वायरस कल्चरिंग, स्वास्थ्य लाभ से संबंधित प्लाज्मा व्युत्पन्न चिकित्सा, टीका के विकास के लिए कोविड-19 रोगियों की व्यापक प्रतिरक्षा प्रोफाइलिंग और भारतीय जनसंख्या के लिए प्रारंभिक नैदानिक ​​परीक्षण में मददगार साबित होगी। प्रयोगशाला में प्रति दिन 1,000 -2,000 नमूनों की जांच की जाती है। इस प्रयोगशाला को आवश्यकता के अनुसार देश में कहीं भी तैनात किया जा सकता है।


डीआरडीओ ने मेसर्स आईकॉम के योगदान को कंटेनरों के व्यवस्थापन के लिए, मेसर्स आईक्लीन के योगदान को बीएसएल 2 और बीएसएल 3 प्रयोगशालाओं का समयबद्ध तरीके से डिजाइन और निर्माण के लिए और मेसर्स हाई टेक हाइड्रॉलिक्स के योगदान को आधारभूत ढ़ाचा उपलब्ध कराने के लिए स्वीकार किया है।


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