कामिनी राॅय ब्रिटिश भारत में स्नातक करने वाली पहली महिला थीं, वह बंगाली कवियत्री होने के साथ साथ एक समाजिक कार्यकर्ता भी थी।
इनका जन्म 12 अक्टूबर 1864 को बंगाल के बसंदा गाँव में हुआ था,जो अब बांग्लादेश के बारीसाल जिले में पड़ता है। उन्होंने 1883 में बेथ्यून स्कूल से अपनी शिक्षा आरंभ कीं। 1886 में कलकत्ता विश्वविद्यालय के बेथ्यून काॅलेज से संस्कृत प्रावीण्य के साथ कला की डिग्री ली और उसी वर्ष वहाँ पढ़ाना शुरू कर दिया। वे उस समय की महिला हैं जब लड़कियों को घर से बाहर निकलना वर्जित था। उन्होंने समाज की परवाह किए बिना अपनी शिक्षा पूरी की। उनकी इस सफलता में उनके माता पिता का पूर्ण सहयोग रहा। उन्होंने महिलाओं के मताधिकार के लिए संघर्ष किया। वह 1922 से 1923 तक महिला श्रम जाँच आयोग की सदस्य रहीं, 1930 में बांग्ला साहित्य सम्मेलन की अध्यक्ष रहीं और 1932-33 में बंगीय साहित्य परिषद की उपाध्यक्ष रहीं। कलकत्ता विश्वविद्यालय ने उन्हें जगतारिणी स्वर्ण पदक से सम्मानित किया था।
इस महान महिला ने 27 सितम्बर 1933 को संसार को अलविदा कह दिया और जाते जाते हमारे सामने एक उदाहरण प्रस्तुत कर गयीं , कि नारी शिक्षा समाज के लिए कितना महत्वपूर्ण है।
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